
रविभूषण सिन्हा, वजीरगंज : अब से करीब दो वर्ष पहले पूरे वजीरगंज प्रखंड क्षेत्र को लोहिया स्वच्छता मिशन के तहत ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। यानी प्रखंड के सभी गांव में सभी घरों में शौचालय का निर्माण हो चुका है और कोई भी व्यक्ति खुले में शौच नहीं करते हैं। यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सारे ऐसे भी परिवार पाए गए जिनके पास रहने का छोटा सा घर तो था, लेकिन शौचालय बनाने के लिए जगह नहीं बच रहा था, वैसे लोगों के लिए केंद्र और राज्य सरकार के पहल पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई, वह था क्षेत्र के भूमिहीन परिवारों के लिए सामुदायिक शौचालय। इस योजना के तहत पूरे वजीरगंज प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांव में कुल 26 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया। निर्माण कराने का जिम्मा विभिन्न एजेंसियों को देते हुए एक लाख अस्सी हजार की प्राकलित राशि भी आवंटित कर दी गई। शौचालयों का निर्माण तो एन केन प्राकरेन हो गया, लेकिन इसमें पानी आपूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं की गई। विडंबना यह रही कि बिना पानी के ही सभी शौचालयों का एक साथ उद्घाटन भी कर दिया गया। इसके सफल संचालन के लिए ग्राम स्तर पर एक छोटी सी कमेटी बनाकर उसकी चाबी उसे सुपुर्द कर दी गई और तब से अब तक सभी में ताला ही जुड़ा हुआ है, क्योंकि पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण उसे खोलने की जहमत कोई नहीं जुटा पाया। संबंधित ग्रामीणों से बात करने पर वह केवल इतना ही बताते हैं कि ठेकेदार बना कर गया है, बीडीओ ने उद्घाटन कर दिया है, लेकिन बिना पानी के कौन और कैसे जाएगा। घुरियावां पंचायत के रघुनाथपुर, कुर्कीहार पंचायत के एकता नगर में बने ऐसे शौचालय के संबंध में ग्रामीण बताते हैं कि इसमें पानी कौन देंगे, कैसे आएगा हमें कुछ पता नहीं है। पूरे प्रखंड में एकमात्र पुनावां दलित टोला का शौचालय ही अब तक उपयोग होते देखा जा रहा है, लेकिन इसके अलावा अन्य सभी को पानी के इंतजार में दो वर्ष गुजर गए। उपयोग नहीं होने के कारण इसका रखरखाव भी नहीं हो पा रहा है, जिससे अधिकांश जीर्ण-शीर्ण अवस्था में आ गया है,कई जगहों पर तो ग्रामीण इसे कूड़ेदान के रूप में उपयोग कर रहे हैं। कुल मिलाकर यह कागजों पर ही सिमट कर रह गया है, खुले में शौच मुक्त योजना, लेकिन पानी आपूर्ति के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि शौचालय भवन निर्माण के लिए प्राकलित राशि के साथ पानी आपूर्ति के लिए भी सारी व्यवस्था जुड़ी थी, लेकिन यदि ऐसा था तो संवेदक से किस परिस्थिति में बिना पानी व्यवस्था वाले शौचालयों को हस्तांतरित कर लिया गया, यह कहना मुश्किल है। इतना सब के बावजूद अब भी इसी तर्ज पर लक्ष्य के अनुरूप और गांव में नए शौचालय निर्माण की प्रक्रिया जारी है, लेकिन जो बन चुका है उसके संचालन सुचारू कराने के लिए कोई पहल होते नहीं देखा जा रहा है। अब तो यह माना जा रहा है कि लोहिया स्वच्छता मिशन यहां पूरे तरह टांय – टांय फीस होकर ही रह गया है। आखिर सरकार के इस सुनहरे सपनों को पंख कैसे लगेगी, इन शौचालयों का उपयोग कब तक शुरू होगा यह सबके सामने यक्ष प्रश्न बना हुआ है। इस संबंध में स्वच्छता समन्वयक सुबी खातून से पूछे जाने पर वे बताती हैं कि पूरे प्रखंड में कुल 38 शौचालय बनाने का लक्ष्य था जिसने 23 बनाये जा चुके हैं जिससे ग्रामीणों को सुपुर्द कर दिया गया शेष कार्य पंचायत चुनाव को लेकर लागू आदर्श चुनाव आचार संहिता को निष्प्रभावी होने के बाद कराया जाएगा। शौचालयों के उपयोग होने की स्थिति पर उनका कहना है कि अभी हाल ही में मेरी स्थापना यहां हुई है, जिसके कारण अभी देख नहीं पाए हैं।