
बेलागंज। राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस के अवसर पर छात्र संगठन आइसा की ओर से अग्रवाल हाई स्कूल,बेलागंज में प्रखंडस्तरीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-युवा शामिल हुए।विदित हो कि-12अगस्त डॉ० शियाली रामअमृता रंगनाथन की जयंती है।जिन्हें लाइब्रेरी साइंस का जनक कहा जाता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आइसा के पूर्व राज्य उपाध्यक्ष तारिक अनवर ने कहा कि आज बिहार में प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक की सरकारी शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से जर्जर व ध्वस्त हो गया है।गरीब घरों के छात्र-युवाओं का पठन-पाठन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। संसाधनों के अभाव में उनकी पढ़ाई पूरी तरह बाधित है।इसके लिए पुस्तकालय संस्कृति को बढ़ावा देकर हम इस कमी को काफी हद तक दूर कर सकते हैं।ऐसे में पुस्तकालय आंदोलन समय की मांग है।भाकपा-माले बेलागंज सचिव मुंद्रिका राम ने कहा कि सत्तर के दशक में बिहार में 540 सार्वजनिक पुस्तकालय,4000 से ज्यादा ग्रामीण एवं शिक्षण संस्थानों में अनगिनत पुस्तकालय थे,जो राज्य व केन्द्र सरकारों की घोर उपेक्षा के कारण या तो समाप्त हो गये हैं या फिर समाप्ति के कगार पर हैं।बिहार में अब मात्र- 51सार्वजनिक व-1000ग्रामीण पुस्तकालय बच रहे हैं।जहां बुनियादी संसाधनों,किताबों,लाइब्रेरियन, परिचारी का घोर अभाव है।यहां तक कि पुस्तकालयों के पास अखबार खरीदने का भी पैसा नहीं है।वे जर्जर स्थिति में हैं।2013 के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के पुस्तकालयों को कोई सरकारी अनुदान नहीं मिला है। और न हीं लाइब्रेरियन की कोई बहाली हुई।यह चिंतनीय है।कार्यक्रम में नेयामतपुर स्थित कमला नेहरू पुस्तकालय की बदहाली पर चिंता जाहिर की गई और उसके संरक्षण सहित उसे समृद्ध करने को लेकर प्रयास करने पर गहरा विचार विमर्श किया गया।(फोटो)
गोष्ठी में एडवोकेट आमिर सुब्हानी, रितेश कुमार, शेरजहाँ, मो. मेराज, नाज़िश अनवर, सनी नारायण राय, कृष्णा प्रसाद, तौसीफ आलम ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का अंत बिहार में बंद पड़े और जर्जर तमाम पुस्तकालयों को पुनर्जीवित करने, शिक्षा बजट का 5 प्रतिशत पुस्तकालय बजट के रूप में खर्च करने, पंचायत भवनों में पुस्तकालय के लिए दो कमरे आवंटित करने तथा लाइब्रेरियन व परिचारी के वर्षो से खाली पड़े व नये सृजित पदों पर शीघ्र बहाली करने की मांग के साथ हुआ।
रिपोर्ट:- अजीत कुमार