गया से चंदन कुमार की रिपोर्ट

सशस्त्र सीमा बल 29वी वाहिनी गया के कमांडेंट श्री एच.के गुप्ता तथा जिला प्रशासन निर्देशानुसार इ कंपनी बीबीपेसरा, फॉरेस्ट विभाग, बाराचट्टी पुलिस,उत्पाद विभाग, एन.सी.बी ने जिला का बाराचट्टी प्रखंड के बीते 2 दिनों से झिंगुरा, नकटेया, दोमचुवा,डांग आदि क्षेत्र में अफीम की खेती को ट्रैक्टर, जेसीबी तथा मजदूरों की माध्यम से विनष्टीकरण किया गया। सशस्त्र सीमा बल के अधिकारी ने बताया कि अफीम की फसल तीन महीने में तैयार होती है और ये समय अफीम की फैसल तैयार होने का ही है.अफीम को फसलों के बीच में लगाया जाता है और इसकी खेती काफी गुप्त तरीके से की जाती है ताकि किसी की नजर न पड़े।
गुप्त तरीके से की जाती है अफीम की खेती
गया जिला में इस बार जमकर अफीम की खेती की जा रही है। हालांकि नक्सल प्रभावित क्षत्रों में अफीम की खेती होना कोई नई बात नहीं है क्योंकि सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि अफीम की खेती नक्सलियों की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। नक्सली दुर्गम क्षेत्रों में इसकी खेती कर कमाई करते है और उससे उनकी अर्थव्यवस्था चलती है. ससस्त्र सीमा बल के सहयोग से , अभियान चला कर अफीम की खेती को नष्ट कर रही है।
ऐसे होती है अफीम की खेती

आपको बता दें कि अफीम की फसल तीन महीने में तैयार होती है और ये समय अफीम की फैसल तैयार होने का ही है। अफीम को फसलों के बीच में लगाया जाता है और इसकी खेती काफी गुप्त तरीके से की जाती है ताकि किसी की नजर न पड़े। जिन इलाकों में वाहनों की आवाजाही ना हो सके वहां भी अफीम की खेती की जाती है। सशस्त्र सीमा बल तथा जिला प्रशासन की सहायता में अफीम के खेती को नष्ट कर रही है साथ ही जिनकी जमीन पर खेती की गई है उन किसानों पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है।