
गौतम बुद्ध महिला महाविद्यालय, गया में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर ‘असमानताओं को कम करना, मानवाधिकारों को आगे बढ़ाना’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, हरियाणा की सहायक व्याख्याता सान्या दाराक्शाँ किश्वर का स्वागत पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए एनएसएस पदाधिकारी डॉ. प्रियंका कुमारी ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाए जाने के महत्व पर प्रकाश डाला। अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सह कॉलेज की जन संपर्क अधिकारी डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने संगोष्ठी की मुख्य वक्ता सुश्री सान्या की शैक्षणिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए विषय पर वक्तव्य हेतु आमंत्रित किया। अपने संक्षिप्त संबोधन में डॉ रश्मि ने कहा कि अधिकार वे कार्य हैं जिनकी आशा हम अपने लिए दूसरों से करते हैं, जबकि कर्तव्य वे कार्य हैं, जिनकी उम्मीद दूसरे हमसे करते हैं। दोनों के ही मध्य समन्वय का होना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि असमानता की भावना को दूर करके ही मानवाधिकारों की प्रतिष्ठापना की जा सकती है और यह तभी संभव है जब हमारे विचार विशाल तथा भावनाए उदात्त हों।

संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोलती हुई सुश्री सान्या ने यूएसए तथा यूके में बिताए अपने दिनों को याद करते हुए वहाँ मिले कटु अनुभवों को सविस्तार साझा किया। उन्होंने कहा कि विदेशों में हर जगह समय-समय पर रंग, धर्म तथा राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव किए जाते हैं, जो बिल्कुल अमानवीय है। सुश्री सान्या ने महिलाओं तथा समलैंगिकों को दिये जाने वाले विशिष्ट अधिकारों का भी मुद्दा उठाया। प्रधानाचार्य प्रो अशरफ ने सभी को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि हम सभी को किसी भी तरह के अनुचित भेदभाव का मिलकर विरोध करना चाहिए। संगोष्ठी में डॉ नूतन कुमारी, डॉ जया चौधरी, डॉ नगमा शादाब, डॉ अनामिका कुमारी, डॉ शिल्पी बनर्जी, डॉ अमृता कुमारी घोष, डॉ पूजा राय, डॉ फरहीन वजीरी, प्यारे मांझी सहित महाविद्यालय की अनेक छात्राएँ उपस्थित थीं।
वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल
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