वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

बुधवार को अनुमंडल स्तरीय अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अनुश्रवण समिति की बैठक अनुमंडल पदाधिकारी गया सदर इंद्रवीर कुमार की अध्यक्षता में जिला परिषद सभागार में की गई। इस बैठक में मुख्य रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के प्रति सदस्यों, कर्मियों व पदाधिकारियों के बीच संवेदनशीलता बढ़ाने के उद्देश्य आयोजित की गई थी। इस बैठक में सदर अनुमंडल के सभी पुलिस उपाधीक्षक, प्रखंड विकास पदाधिकारी, थानाध्यक्ष, अंचलाधिकारी उपस्थित थे। बैठक में अनुसूचित जाति जनजाति अनुश्रवण समिति के सदस्य जितेंद्र कुमार भी उपस्थित थे। जितेंद्र कुमार के द्वारा बताया गया कि थानों में कांडों के निष्पादन में देरी होती है। जिसके कारण अनुसूचित जाति के सदस्यों को मुआवजा की राशि ससमय नहीं मिल पाती है। इस पर अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा सभी थानाध्यक्ष को निर्देश दिया गया कि समय कांडों का निष्पादन सुनिश्चित करें। बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के महत्व पर प्रकाश डाला गया। सभी पदाधिकारियों से अनुरोध किया गया कि वह इस अधिनियम के अनुपालन के प्रति संवेदनशील रहें। अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्ति के खिलाफ कोई भी अत्याचार होता है तो उस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करें। संबंधित थानाध्यक्ष को भी निर्देश दिया गया कि वे दर्ज कांडो की गंभीरता के साथ जांच कर प्रतिवेदन समर्पित करें। ताकि अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्ति को समय पर न्याय दिलाई जा सके। साथ ही सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि इस अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित मुआवजा की राशि का भुगतान भी शीघ्रता से करने के दिशा में आवश्यक कदम उठाएं। बैठक में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बोधगया अजय प्रसाद के द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के मुख्य बिंदुओं की चर्चा की गई एवं सभी थानाध्यक्षों को इसका पालन करने का निर्देश दिया गया। पुलिस उपाधीक्षक नगर पारस नाथ साहू के द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के बारे में चर्चा करते हुए सभी पदाधिकारियों को दर्ज कांडो का नियमित अनुश्रवण करते हुए प्रतिवेदन भेजने का निर्देश दिया गया, ताकि अनुसूचित जाति जनजाति के व्यक्ति को सरकारी नियम के अनुसार सहायता प्रदान की जा सके। बैठक में प्रखंड विकास पदाधिकारी नगर सह सचिव के द्वारा बताया गया कि अभी तक कुल 33 मामलों में प्रथम किस्त की राशि अनुसूचित जाति/ जनजाति के परिवारों को मुआवजा के रूप में भुगतान कराई जा चुकी है। साथ ही वर्ष 2022 में कुल 33 प्राथमिकी दर्ज की गई है।