
गया जंक्शन पर शुक्रवार को आरपीएफ के सब इंसपेक्टर विक्रमदेव सिंह के नेतृत्व में टीम ने 142 बोतल देसी विदेशी शराब के साथ सीतामढ़ी के रहनेवाले एक तस्कर को गिरफ्तार किया है। जो बनारस से अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस से शराब लेकर गया जंक्शन पर उतरा और यहां से फिर जहानाबाद ले जाने वाला था। इस टीम में प्रधान आरक्षी अनिल कुमार सिंह और रवि कमल शामिल थे। वहीं रेल पुलिस ने गंगा-दामोदर एक्सप्रेस से लावारिश हालत में 151 बोतल देसी शराब बरामद की है। थानाध्यक्ष संतोष कुमार ने बताया कि दो कोच के जोड़ने वाली जगह से शराब लावारिस अवस्था में पकड़ी गई है।
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद भले ही सरकार यह दावा कर रही है कि बिहार में शराब की बिक्री नहीं की जाती है। और इसके सेवन करने वाले कानून के शिकंजे में होंगे। जब से बिहार में शराबबंदी लागू कर दिया गया है, तब से शराब माफिया अवैध कारोबार को बखूबी अंजाम देने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।

सड़क मार्ग हो रेलमार्ग। दोनों मार्ग से बिहार में शराब आ भी रहे हैं और इसकी अवैध रूप से बिक्री भी की जा रही है। ये सरकारी रिपोर्ट भी बताती है। गया जिले का शायद ही कोई थाना होगा, जहां अवैध शराब के मामले में केस दर्ज नहीं होंगे। कोई शराब पीने के बाद पकड़ा गया हो या फिर शराब को लेकर चलने के मामले में पकड़ा गया हो। सड़क और रेलमार्ग से वाहनों से शराब पड़ोसी राज्यों से लाए जाते हैं। कभी चेकपोस्ट पर तो कभी ट्रेन में। कभी प्लेटफॉर्म पर तो कभी सड़कों पर शराब की छोटी बड़ी खेप पकड़े जाने के समाचार मिलते ही रहते हैं। लेकिन, ऐसा देखने व सुनने को मिलते हैं कि ट्रेन में लावारिश हालात में शराब आरपीएफ या रेल थाना की पुलिस जब्त करती है। आखिर शराब लेकर चलने वाले क्यों नहीं पकड़े जाते? इसका सीधा मतलब है कि शराब ट्रेन में रख देने के बाद तस्कर रेलयात्रा का प्रॉपर टिकट के साथ ट्रेन में ही चलते हैं। जब जांच में शराब पकड़ में आती है तो संबंधित तस्कर बड़े आराम से यात्री के रूप में अवश्य ही रहता होगा, लेकिन कानूनन उसे कोई इसलिए नहीं पकड़ सकता है, क्योंकि वैध टिकट पर वह यात्रा कर रहा होता है, जो अपने साथ शराब लेकर चलने की बात को स्वीकार नहीं करता है। ऐसे में पुलिस को लाचारीवश अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करना पड़ता है। माफिया इससे साफ बचकर निकल जाता है। कई बार शराब के साथ तस्कर पकड़े भी जाते हैं, लेकिन कब? जब ट्रेन में शराब नहीं पकड़ी गई हो और वह शराब को लेकर प्लेटफॉर्म पर चलने लगता है तब। तस्कर एक तरह से रिस्क लेता है। यही वजह है कि ट्रेन से शराब लेकर चलना तस्कर अधिक सुरक्षित समझते हैं।
बहरहाल, आरपीएफ हो या जीआरपी। दोनों गया जंक्शन पर सघन जांच और गश्त करते हैं। इनपुट के आधार पर या फिर संदेह के आधार पर शराब लेकर चलने वाले लोगों को कई बार पकड़ने में कामयाब रही है।
रिपोर्ट – वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल