होलिकादहन के अगले दिन हर वर्ष मनायी जाती है होली

टिकारी संवाददाता: टिकारी प्रखंड ही नही वल्कि जिले का रकसिया एकमात्र ऐसा गांव है जंहा होली में आंतर की परंपरा नही है। यह परंपरा कोई हाल के वर्षों का नही वल्कि वर्षो-वर्षो की है। गांव के बुजुर्ग स्थानीय निवासी पूर्व मुखिया राजेश्वर प्रसाद, सेवानिवृत्त बीडीओ अरुण कुमार सिंह, सेवानिवृत्त दारोगा चंद्रदीप सिंह, गांव के जानकार गिरीश सिंह, संजय कुमार दांगी, ललन सिंह, कपिल दांगी आदि ने बताया कि जिस वर्ष भी होलिकादहन के अगले दिन और जगहों पर आंतर होता है लेकिन हमारे गांव रकसिया में धूमधाम से होली मनाई जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि आंतर नही मनाने की परंपरा के बीच गांव की अनूठी होली हर वर्ष खेली जाती है लोगों के आकर्षण का केंद्र होती है।



धूमधाम से आज मनी होली
देव स्थलों पर सामूहिक रंगोत्सव और होली गायन के साथ होलिकोत्सव का शुभारंभ होता है। इससे पूर्व सुबह में गांव के ग्रामीण, युवा, महिला सभी होलिकादहन स्थल यानी अगजा में जाकर शरीर मे राख लगाते हैं और उसके बाद कादो-मट्टी लगाने का दौर शुरू होता है। जो दोपहर तक पूरे गांव में धुरखेरी के रूप में यह कार्य होता है। इस दौरान गांव की मंडली कमर में ढोल और हांथों में झाल, करताल आदि वाद्ययंत्रों के साथ धुरखेरी का झुमटा भ्रमण करते हुए कादो मट्टी खेलते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि आंतर नही मनाने की परंपरा के बीच गांव की अनूठी होली हर वर्ष खेली जाती है। बहरहाल जिले में होली मनाने की वर्षों से चली आ रही अनूठी परम्परा सबको अपनी ओर आकर्षित करती आ रही है।





