
टिकारी संवाददाता: सीयूएसबी में जनसंचार और मीडिया विभाग तथा भारतीय भाषा समिति के संयुक्त तत्वावधान में ‘मीडिया एवं भारतीय भाषाएं’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने में मीडिया की भूमिका और वैश्वीकरण के युग में क्षेत्रीय भाषाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने के उद्देश्य से इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। जिसमे देशभर से शिक्षाविद, शोधार्थी, पत्रकार और भाषा विशेषज्ञ आदि भाग ले रहे है। इस अवसर पर प्रो. आतिश पराशर द्वारा लिखी गई पुस्तक “रेजुवनेटेड इंडिया” का भी विमोचन किया गया। अपने स्वागत भाषण में प्रो. पराशर ने कहा कि हम जितना भाषा का सम्मान करेंगे, भाषा हमें उतना ही ज्यादा सम्मान दिलाएगी। उन्होंने भारत के वैश्विक नेतृत्व के लिए भाषाई समृद्धि को एक जरूरत बताया। संगोष्ठी के प्रमुख संरक्षक सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने भाषा एवं संस्कृति के महत्व को भूगोल के माध्यम से समझाया। उन्होंने विश्वविद्यालय में विविधताओं को दर्शाते हुए बताया कि विश्वविद्यालय में 21 राज्यों के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और विश्वविद्यालय अपने बच्चों को दूसरी भाषाओं को सीखने के लिए प्रेरित करता है।

कुलपति ने इस बात का उल्लेख किया कि आज हिंदुस्तान में क्षेत्रीय भाषाओं का कद कुछ और होता अगर भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन नहीं हुआ होता। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो. बैद्यनाथ लाभ ने हमें अपनी संस्कृति को लेकर सजग रहने को कहा। हमें अपनी संस्कृति को लेकर ग्लानि बोध का भाव नहीं होना चाहिए। वहीं विशिष्ट अतिथि गगनांचल पत्रिका के संपादक डॉ. आशीष कंधवे ने भाषा के दूषित होते हुए स्वरूप पर चिंता प्रकट की। उन्होंने इसके लिए इसके लिए हमारी घटती भाषाई पठन-पाठन को जिम्मेदार बताया। इस अवसर पर सहायक प्राध्यापक डॉ. रवि सूर्यवंशी की देखरेख में प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में जन सम्पर्क पदाधिकारी मो.मुदस्सीर आलम, चमू कृष्ण शास्त्री, डॉ. चंदन श्रीवास्तव, डॉ. किंशुक पाठक, डॉ. सुजीत कुमार, डॉ. अनिंदया देव एवं डॉ. रवि सूर्यवंशी आदि मौजूद थे।