वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

गया जिले में यूं तो हर दिन जमीन की खरीद बिक्री हो रही है। जिससे सरकार को अच्छी खासी राजस्व की प्राप्ति होती है। सरकारी राजस्व जितना सुदृढ होगा, राज्य का उतना ही विकास होगा। बिहार समृद्धि की ओर जाएगा। शराबबंदी कानून लागू होने के बाद इससे होने वाले राजस्व आय पर काफी फर्क पड़ा है। ऐसे में जमीन की खरीद बिक्री से होने वाले राजस्व को यदि किसी के द्वारा क्षति पहुंचाई जा रही हो या पहुंचाई गई हो तो यह मामला आर्थिक अपराध की श्रेणी में तो आएगा ही। जिसकी जांच के लिए आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग की इकाई अपना काम करती है। जिस पर बिहार के लोगों को काफी भरोसा है कि यह इकाई स्वतंत्र रूप से बिना किसी भेदभाव के काम करती है। हालांकि इन दिनों राजनीतिक बहस भी इस विभाग के द्वारा की जा रही कार्रवाई को लेकर सुनने को मिल रहे हैं, लेकिन इस विभाग के कार्य करने के सलीखे के भरोसे के साथ गया कॉटन मिल बालाजी नगर के रहने वाले लोगों ने यहां की जमीन की हुई खरीद बिक्री में हुई कथित भ्रष्टाचार, धांधली और राजस्व की भारी क्षति से आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक, बिहार को एक पत्र लिखा है।

बालाजी नगर, कॉटन मिल के रहनेवाले कुणाल शेखर और शैलेश कुमार ने कहा है कि गया जिला निबंधन पदाधिकारी द्वारा निबंधन दस्तावेज में सरकारी राशि(राजस्व) को भारी क्षति पहुंचाई गई है। जिस जमीन की खरीद बिक्री की बात बताई गई है, उसमें करीब तीन करोड़ रुपए राजस्व की क्षति की बात है। यह जमीन किसी और के नाम से नहीं लिखी गई है, बल्कि एनएलबीडी के स्थानीय प्राधिकरण के नामित व्यक्ति बतौर मैनेजर सुशील कुमार सराफ के नाम से रजिस्ट्री कराई गई है। यहां बताना लाजिमी होगा कि सुशील सराफ को NLBD ने जमीन की बिक्री के लिए अधिकृत किया है।
यहाँ एक सवाल यह उठाया जा रहा है कि जिस कॉटन मिल परिसर में जमीन की ख़रीदगी इसी साल जनवरी महीने में NLBD ने की है, उस जमीन पर पहले से ही कई मकान बने हुए हैं। तो किस परिस्थितियों में इसे परती (यानी खाली भूखंड) बताया गया? और इसकी रजिस्ट्री परती भूमि पर करा दी गई। जबकि नियम यह कहता है कि जिस खाता संख्या में जिस प्लॉट संख्या की जमीन की रजिस्ट्री की जाती है तो स्थल का जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है। जिसमें चौहद्दी के साथ साथ जमीन परती है या इस पर मकान बने हुए हैं या नहीं आदि का ज़िक्र किया जाना नियम कहता है। क्योंकि परती जमीन की रजिस्ट्री के लिए और जमीन पर बने मकान की रजिस्ट्री का शुल्क अलग अलग देय होता है। जबकि शिकायत दर्ज कराने वाले कुणाल शेखर का कहना है कि जिस 85 डिसमल जमीन की रजिस्ट्री हाल ही के दिनों में हुई है, उस जमीन पर काफी पहले से ही आवास और अन्य निर्माण कार्य किए जा चुके थे। यही सवाल जब शिकायत करने वाले कुणाल शेखर से magadhlive ने किया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक को सारे साक्ष्यों के साथ शिकायत की गई है। जिसकी जांच शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में शामिल जितने भी लोग हैं, उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि इसकी जांच के जद में और भी कई लोग आएंगे, जिन्होंने इस आर्थिक अपराध में अपनी अपनी भूमिका निभाई है।