वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

नगर निकाय चुनाव 2022 को लेकर अटकलें तेज हो गई है। बिहार सरकार ने समय पर चुनाव कराने के लिए तैयारियां कर रह रही है। 30 जून तक अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करने को लेकर समय सीमा तय कर चुकी है। इसके बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। लेकिन गया नगर निगम की जहां तक बात करें तो 9 जून को यहां मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव 2017 में हुआ था। लेकिन निगम बोर्ड का विधिवत गठन और इसकी पहली बैठक 24 जून 2017 को हुई थी। इस हिसाब से पांच साल का कार्यालय 24 जून 2022 को समाप्त हो रहा है। जबकि अंतिम रूप से मतदाता सूची का प्रकाशन 23 जून को करने की बात है तो ऐसे में 24 जून 2022 के बाद गया नगर निगम बोर्ड स्वतः भंग हो जाएगी या सीधी बात कहें तो पार्षदों के साथ साथ मेयर और डिप्टी मेयर के सारे अधिकार जो संविधान द्वारा प्रदत्त है, वह छीन जाएंगे। लेकिन पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के निकाय चुनाव के मामले की सुनवाई करते हुए जो बात कही है कि राज्य सरकार का दायित्व बनता है कि किसी भी हाल में पांच साल के कार्यकाल के अंदर ही चुनाव संपन्न करा लिया जाना चाहिए तो ऐसे में फिलहाल जो स्थिति बनती दिख रही है, उसके अनुसार समय से चुनाव हो पाना मुश्किल है। ऐसे भी गया जिले के बोधगया, टिकारी और शेरघाटी नगर परिषद एक प्रकार से भंग ही है। जबकि किसी भी सूरत में किसी निकाय का चुनाव भंग होने की स्थिति में छः महीने के अंदर वहां चुनाव करा लिए जाने का प्रावधान है। लेकिन शेरघाटी, बोधगया और टेकारी में समय से चुनाव हो पाना संभव नहीं दिखाई दे रहा है। अब गया नगर निगम चुनाव की बात करें तो समय से चुनाव नहीं हो पाने की स्थिति बनते देख वार्ड पार्षद पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गया नगर निगम के वार्ड 20 के पार्षद धर्मेंद्र कुमार एवं 33 के पार्षद ओमप्रकाश सिंह ने बताया है कि पटना हाई कोर्ट में समय से चुनाव करवाने के लिए एक याचिका दायर कर दिया गया है। बहुत जल्द ही इस मामले को लेकर सुनवाई के लिए कोर्ट संज्ञान ले सकती है।
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