Home Bharat Live एक पखवाड़े में आरपीएफ ने करोड़ों रुपए के सोने व शराब किया बरामद, तस्करी का सुरक्षित जरिया बनी ट्रेन

एक पखवाड़े में आरपीएफ ने करोड़ों रुपए के सोने व शराब किया बरामद, तस्करी का सुरक्षित जरिया बनी ट्रेन

by Manoj kumar
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वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

नए साल 2022 के 15 दिन बीत गए। इस एक पखवाड़े में गया आरपीएफ की टीम ने गया जंक्शन पर आई अलग अलग ट्रेन से तीन करोड़ 63 लाख 52 हजार रुपए का सोना पकड़ने में कामयाब रही है। साथ ही तस्कर भी पकड़े गए। आरपीएफ और जीआरपी थाने के पुलिस पदाधिकारी, आरपीएफ की सीआइबी की टीम ने पटना से आई डीआरआई की टीम को सहयोग करते हुए दो बार सोने के तस्करी करने वाले अपराधियों को पकड़ने में सफल रही। 4 जनवरी को 2,88,36,000 रुपए का और 16 जनवरी को 74,16,000 रुपये के सोने के साथ तस्कर पकड़े गए। इसके अलावा लाखों रुपए का 40 किग्रा मादक पदार्थ गांजा भी पकड़ा गया। 4 जनवरी को 14 किग्रा तथा 9 जनवरी को 25.900 किग्रा गांजा पकड़ा गया। इसके अलावा 12 जनवरी को तस्करी के लिए ले जाए जा रहे 61 जीवित कछुए भी ट्रेन से बरामद किए गए। 1 जनवरी से 16 जनवरी तक विभिन्न ट्रेनों से 546 बोतल विदेशी शराब पकड़ी गई, करीब 500 लीटर देशी महुआ शराब भी। वहीं इस बीच अंतरजातीय गिरोह के अटैची लिफ्टर भी पकड़े गए, चोर, पॉकेटमार भी पकड़े गए।

तस्करी के लिए ले जाया जा रहा कछुआ

हावड़ा-इंदौर शिप्रा एक्सप्रेस से सोना पकड़ा गया। बुद्ध पूर्णिमा, हटिया-पटना-इस्लामपुर रांची एक्सप्रेस, हटिया-पटना-कोशी एक्सप्रेस, धनबाद-गया-डेहरी पैसेंजर, आसनसोल-वाराणसी पैसेंजर ट्रेन से शराब पकड़ी गई।
देखा जाए तो इस हिसाब से औसतन हर दिन किसी न किसी ट्रेन से तस्कर प्रतिबंध मादक पदार्थ लेकर चल रहे हैं। कुछ पकड़े जाते हैं, कुछ तस्कर गिरफ्तारी के भय से मादक पदार्थों वाले बैग पर अपना दावा नहीं करते। देखा जाए तो कोरोना काल में रेलवे ने ऐसी व्यवस्था कर रखी है बिना आरक्षण के लंबी दूरी की ट्रेन में सफर नहीं कर सकते। इधर कुछ लोकल ट्रेनों को इस तरह के बंदिशों से मुक्त रखा गया है। देखा जाए तो शराब झारखंड की ओर आने वाली ट्रेनों में पकड़ी जाती है। गया, मानपुर और पहाड़पुर स्टेशनों पर शराब पकड़ी जाती है। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि तस्करी का सुरक्षित जरिया बन गई है ट्रेन। सवाल यहां यह भी उठता है कि एक दो कोच की जांच में शराब पकड़े जाते हैं, एक ट्रेन में कई कोच होते हैं, सभी की जांच शुरू की जाने लगे तो आरपीएफ, जीआरपी को और भी उपलब्धि हासिल हो सकती है। लेकिन, समस्या यह भी है कि पूरी ट्रेन की जांच करने से रेलवे की पंचुअलिटी (समयबद्धता) भी मार खाने लगेगी।

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