न्यूज डेस्क: भारत के माननीय प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदीजी के दृष्टिकोण के अनुरूप, वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईव्हाईओएम् 2023) के रूप में घोषित किया गया है ताकि इसे लोगों का आंदोलन बनाया जा सके और भारतीय बाजरा, व्यंजनों, मूल्य वर्धित उत्पादों को विश्व स्तर पर स्वीकार किया जाता है।

इसी राह पर चलते हुए, आईआईएम बोधगया की मिलेट समिति ने हॉस्टल एंड मेस समिति के सहयोग से 22 दिसंबर 2022 को मिलेटवर्स नामक बाजरा जागरूकता कार्यक्रम पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया।डॉ. विनीता एस. सहाय, निर्देशक, आईआईएम बोधगया ने डॉ. टीना भारती, अध्यक्ष, बाजरा समिति , डॉ. नंदा चौधरी (सदस्य- मिलेट समिति), संपूर्ण मिलेट समिति और आईआईएम बोधगया के छात्रावास और मेस समिति के प्रतिनिधियों के साथ इस अभियान का नेतृत्व किया। निर्देशक, आईआईएम बोधगया ने आहार में बाजरा शामिल करने के विभिन्न स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अपने खाने की आदतों में एक छोटा सा बदलाव लाकर उच्च ऊर्जा, अधिक उत्पादकता, स्पष्ट सोच और शरीर विज्ञान के रूप में बड़े लाभों को दिन-प्रतिदिन के जीवन में अनुभव किया जा सकता है। स्थायी फसलों का विचार स्वयं सचेत और टिकाऊ उपभोग को जोड़ता है जो जीवन जीने का एक तरीका है जहां व्यक्ति अपनी उपभोग की आदतों के पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों के प्रति जागरूक होते हैं। इसमें इच्छानुरूप और सूचित विकल्प बनाना शामिल है जो ग्रह और उसके निवासियों की भलाई को अभी और भविष्य में प्राथमिकता देता है। यह संस्थान की दृष्टि के अनुरूप है, अर्थात “दिमागदार और सामाजिक रूप से जिम्मेदार नेताओं को विकसित करने के लिए”।
कभी भारतीय आहार का मुख्य हिस्सा रहा बाजरा लगभग 4 दशकों से खोई हुई है। इसलिए, जागरूकता पहल का पूरा उद्देश्य हमारे दैनिक जीवन में बाजरे के सेवन को बढ़ावा देना है, उनके पोषण और स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करना और प्रतिकूल और बदलती जलवायु परिस्थितियों में खेती के लिए उनकी अनुकूलता और नीतिगत ध्यान देना भी है। इस दिशा में आईआईएम बोधगया छात्रावास के मेस मेन्यू में नाश्ते, दोपहर के भोजन, शाम के नाश्ते और रात के खाने में विभिन्न पोषक तत्वों के माध्यम से बाजरे को शामिल कर इस अभियान को पूरी तरह से सम्मिलित किया गया है। सामुदायिक चर्चाओं, साक्षात्कार और सेमिनार आयोजित करने के साथ-साथ आईआईएम बोधगया के छात्रावासों के सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्टर और बैनर के माध्यम से जागरूकता बढ़ाई गई।