वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल
गया के रेलकर्मी श्रीरामनवमी और रमजान की परंपरा को अबतक रखा है कायम

सभी जानते हैं कि रामनवमी का अर्थ भगवान श्रीराम का जन्मदिन है। इस दिन सनातन धर्म के मानने वाले तो क्या इस्लाम धर्म में आस्था रखने वाले भी इस दिन किसी न किसी रूप में अपना योगदान देते हैं। चाहे महावीरी पताका बनाने की बात करें या फिर पूजा में लगाई जाने वाली सामग्रियों की खरीद बिक्री से जुड़े लोग। लेकिन हम बात कर रहे हैं देश के एक प्रतिष्ठान की, जो निरंतर गतिमान रहती है। जी हां, देश की लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेल की हम बात कर रहे हैं। गया जंक्शन जब पूर्व रेलवे और दानापुर रेल मंडल का हिस्सा हुआ करता था, उस वक्त से देखने को मिलता रहा है कि रामनवमी की पूजा गया के रेलकर्मी काफी धूमधाम से करते हैं। कुछ साल पहले की बात करते हैं, जब रेलवे में आधुनिकीकरण नहीं हुआ था। जितने भी केबिन हुआ करते थे, वहां के कार्यरत कर्मचारियों की एक विशेषता थी कि रामनवमी की पूजा के साथ साथ चैता गायन का भी आयोजन हुआ करता था। पूरी, सब्जी और बुंदिया का रसास्वादन सभी रेलकर्मी एकसाथ किया करते थे। स्टेशन प्रबंधक इस आयोजन के प्रमुख व्यक्ति(अधिकारी हुआ करते थे। कई मौकों पर देखा गया है कि वरिष्ठ परिचालन प्रबंधक(सीनियर डीओएम) को गया के रेलकर्मी आमंत्रित किया करते थे, जो सहर्ष ही इस तरह के आयोजन में बतौर मेहमान बनते थे। आज केबिन खत्म होते जा रहे हैं, अब एकीकृत सिग्नल प्रणाली कार्य कर रही है। जिसे अब आरआरआई कहा जाने लगा है।

वहीं, रमजान के महीने में दोनों समुदाय से आने वाले रेलकर्मी दावत-ए-इफ़्तार का आयोजन रनिंग रूम में बड़े पैमाने पर किया करते आए हैं। आज यह परंपरा भी गया रेलकर्मियों के बीच कायम है। गया जंक्शन के मुख्य क्रू मेंबर्स के लिए यह आयोजन आज भी यहां होते आ रहा है। गुरुवार को ईस्ट सेंट्रल रेल कर्मचारी यूनियन के लोगों ने रामनवमी के मौके पर सुबह से पूजा अर्चना की, जिसमें यूनियन के वरिष्ठ नेता मिथिलेश कुमार के अलावा यूनियन के गया शाखा के पदेन पदाधिकारी एवं सदस्यों ने बढ़चढ़ कर भागीदारी निभाई। स्टेशन अधीक्षक दीपक कुमार पूजा और सामूहिक भोज में शामिल हुए। ऐसे में कहा जाए तो सामाजिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे गया के रेलकर्मी भारतीय रेल में अपनी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। युवा वर्ग के रेलकर्मी भी अब इसमें इंटरेस्ट ले रहे हैं। इससे कहा जा सकता है कि गया के रेलकर्मियों में जो एकता, प्रेम, भाईचारा देखने को मिलता है, वो एक अतुल्य भारत की पहचान है।
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बहुत ही बढ़िया
गया जंक्शन और रेलकर्मियों के द्वारा अपनी परंपरा को जीवित रखने की बात सराहनीय है। मगध लाइव न्यूज को बहुत बहुत धन्यवाद इस खबर के प्रकाशित करने के लिए।