देवब्रत मंडल, चीफ एडिटर, मगध लाइव

वैसे तो हर वर्ष फाल्गुन माह के अंतिम दिनों में होली पर्व का खुमार सभी पे चढ़ जाता है, लेकिन 2022 की यह होली कुछ और ही अलग संदेश देती नजर आ रही है। गया में हर तरफ होली मिलन समारोह का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन इस मिलन समारोह में होली के रंग से कहीं अधिक चटख रंग राजनीतिक का चढ़ गया है। इस मिलन समारोह के बहाने “कुर्सी” तक पहुंचने और “ताज” पहनने का खुमार चढ़ गया है। होली 19 मार्च को है। लेकिन इसके पहले गया नगर निकाय क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों में मिलन समारोह की धूम मची हुई है। आयोजक कौन है, सबको पता है। उद्देश्य क्या है, ये भी आयोजक, प्रायोजक और आगंतुकों को भी पता है। अभी बिहार विधान परिषद का चुनाव होना है, इसलिए मिलने-मिलाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। स्थानीय निकाय से निर्वाचित प्रतिनिधियों की मांग रंग और अबीर गुलाल से कई गुना अधिक बढ़ी हुई है। कारण स्पष्ट है कि इसी राजनीतिक रंगों में रंगे जनप्रतिनिधियों के हाथों में विप प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का उदय होना है। चलिए! देर सवेर 4 अप्रैल तक यह खेल करीब 7500 जनप्रतिनिधियों के मतदान के बाद खत्म हो जाएगा।

लेकिन आइए हम आपको ले चलते हैं नगर निकाय चुनाव 2022 की ओर…
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सरकार निर्णय ले चुकी है कि मेयर(मुख्य पार्षद) और डिप्टी मेयर (उपमुख्य पार्षद) पद के लिए प्रत्याशी का चयन जनता(मतदाता) करेगी। वहीं पार्षद का भी। इसलिए इस होली मिलन समारोहों में संभावित मेयर और डिप्टी मेयर के अलावा पार्षद अपनी ओर से होली मिलन समारोह का आयोजन कर रहे हैं। मीडिया में सुर्खियां बटोरने का मकसद है अपने आप को जनता के समक्ष उम्मीदवार के रूप में पेश करने की। लोगों की भीड़ और इस भीड़ में खानपान के साथ गीत संगीत के साथ साथ “मनोरंजन के साधन” भी परोसे जा रहे हैं। सुस्वादु व्यंजन के साथ मनोरंजन के साधन भी लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं। कही ठुमके लगाए जा रहे हैं तो कहीं कमर लचकाने का अंदाज भी कुछ निराले हैं। कोई रुपये बांट कर दावेदारी को मजबूत करने में लगे हैं तो कोई जात पात, सर समाज को साथ लेकर दावेदारी पेश कर रहे हैं। कुछ तो आपसी भाईचारे और सौहार्द की चाशनी में डूबे “पुए” लोगों को खिला रहे हैं। चेहरे पर अबीर गुलाल लगाकर गले मिलते वक्त यही कह रहे हैं- इस बार हमें ही सेवा करने अवसर दें
शेष अगली कड़ी में…