देवब्रत मंडल
आप सभी का magadhlive की मॉर्निंग न्यूज़ में स्वागत है। आज शुक्रवार है और अक्टूबर महीने की 14 तारीख। आज की खास खबर रेलवे को सचेत करते हुए सभी प्राणियों के जीवन की रक्षा से जुड़ी हुई है। गुरुवार को गया आरपीएफ की टीम नई दिल्ली-गया महाबोधि एक्सप्रेस से लाई गई भारी मात्रा में शराब के साथ इस धंधे में शामिल कुछ लोगों को पकड़ कर जेल की सलाखों के पीछे भेज रही है। बात कानून की जाए तो सजा का प्रावधान जो इस अपराध के लिए है वो सभी जानते हैं। लेकिन, यह कह देने से शराब के अवैध कारोबार के मामले पकड़े गए, ये काफी नहीं। इसके पीछे या कहें कि inside story काफी कुछ कहती है। सभी जानते हैं कि शराब के निर्माण में स्प्रिट का इस्तेमाल किया जाता है। स्प्रिट highly inflammable है। बिहार में शराबबंदी लागू हुए छः साल नवंबर महीने में पूरे हो रहे हैं। बंदी के बाद से बिहार में शराब उन प्रदेशों से आने लगे हैं। चाहे सड़क मार्ग हो या रेलमार्ग। दोनों मार्गों से शराब की आवक काफी बढ़ी हुई है। खपत बिहार में ही हो रही है। लेकिन इस बात से इस खास खबर का कोई लेना देना नहीं। बात हम उसकी कर रहे हैं कि शराब ट्रेन से आ रही है। गुरुवार को गया आरपीएफ की टीम द्वारा जो शराब पकड़ी गई, वह इस ट्रेन के पार्सल वैन(कोच) में लाई गई थी। सूत्रों की माने तो यह सिलसिला काफी दिनों से चल रहा था। लेकिन पकड़ी कल गई है। इस ट्रेन के अलावा कई और ट्रेनों के पार्सल कोच को रेलवे ने प्राइवेट पार्टी को लीज(किराए) पर दे रखा है। कोच की क्षमता(ढुलाई करने के लिए) जितना मानक तय है, उतना माल लीज होल्डर ले आ जा सकते हैं। पार्सल विभाग केवल वजन देखता है कि निर्धारित क्षमता से कहीं अधिक माल तो लोड नहीं किया गया है। ज्यादा होने पर ओवरलोडिंग का दंड वसूल किया जाता है। यहां भी इस दंड को लेकर ‘खेल’ चलता है पार्टी और रेलकर्मी के बीच। जिसका प्रमाण नहीं magadhlive के पास, लेकिन सुनने को मिलते हैं कि यह खेल तब से हो रहा है, जब से रेलवे ने लंबी दूरी की कई ट्रेनों के पार्सल कोच को लीज पर दे रखा है। पूरे भारत में इससे रेल को अच्छी खासी राजस्व की प्राप्ति हो रही है। लेकिन इस व्यवस्था में एक शर्त रखी गई है कि लीज होल्डर को आपत्तिजनक सामग्री की ढुलाई नहीं करनी है, इनमें एक ज्वलनशील वस्तु या पदार्थ भी है। यह रेलवे और लीज होल्डर के साथ होने वाले करार (agreement) में Bond paper पर लिखा हुआ होता है। ट्रेन में हजारों यात्री भी सफर करते हैं। खुदा खैर करे कि कोई हादसा नहीं हो। लेकिन जिस तरीके से लीज होल्डर एजेंसी की जानकारी में शराब ढुलाई की जा रही थी, यदि रनिंग ट्रेन में यदि कोई एक बोतल शराब की खुल जाए या टूट फूट जाए और आग की एक चिंगारी इससे स्पर्श कर जाती है तो क्या होगा? सभी समझ सकते हैं कि कितना बड़ा हादसा हो सकता है। आग की चिंगारी ट्रेन के चक्के से भी उठती है। ऐसा कई बार हुआ भी है, जिससे रेल महकमा अनजान नहीं। अब जो सवाल उठता है कि आखिर लीज पर कोच दे दिए जाने के बाद कौन सी वस्तु या सामग्रियों को पार्सल कोच में लोडिंग और अनलोडिंग किया जा रहा है, इसे कौन देखता है। सूत्र बताते हैं कि महाबोधि एक्सप्रेस से यहां लाई जा रही शराब या फिर कोई अन्य वस्तुओं को पहले गोदाम में रखा जाता है और इसके बाद ट्रांसपोर्ट के माध्यम से डिमांड के अनुसार अन्य शहरों व कस्बों में भेजी जाती है। इस पर भी जिला प्रशासन को नजर रखने की जरूरत है। वहीं रेल महकमे के वरीय अधिकारियों को भी लीज पर दी जा रही ट्रेन के पार्सल कोच में ढुलाई की जाने वाली सामग्रियों की अच्छे तरीके से जांच करने की जरूरत है। नहीं तो, यदि इसी प्रकार चलता रहा तो भयानक हादसा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। वहीं जिस लीज होल्डिंग एजेंसी और इससे संबंधित व्यक्तियों द्वारा जो अपराध किया गया है, उन सभी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के साथ लीज के करार को समाप्त करने की जरूरत है। क्योंकि यह मानव जीवन के साथ साथ रेलवे के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। आगे भी इस प्रकार की खास खबरों के लिए आप सभी magadhlive news के साथ जुड़े रहें।