सहायक निबंधन महानिरीक्षक को पूर्व मुखिया ने दिए सारे साक्ष्य, एक सप्ताह का दिया समय
वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

गया कॉटन एंड जूट मिल्स (अब बालाजी नगर, गया) की जमीन की खरीद बिक्री में कथित धांधली और भ्रष्टाचार तथा सरकारी राजस्व की क्षति पहुंचाने के मामले की उच्चस्तरीय जांच मंगलवार को शुरू कर दी गई। मंगलवार को शिकायत कर्ता पूर्व मुखिया रवींद्र यादव सहायक निबंधन महानिरीक्षक, मगध प्रमंडल, गया के समक्ष उपस्थित हुए। जिन्होंने अपनी शिकायतों से संबंधित वो सारे साक्ष्य और दस्तावेजों को उनके समक्ष प्रस्तुत किया, जिसकी वो शिकायत सरकार से लेकर स्थानीय स्तर पर जिलापदधिकारी से कर चुके हैं। पूर्व मुखिया रवींद्र यादव ने magadhlive को बताया कि जांच के दौरान जांच अधिकारी के समक्ष डीड की कॉपी, कुछ मकान और दूकान तथा मंदिर की तस्वीरों को प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि जिसके बाद अधिकारी ने संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को एक सप्ताह के अंदर संतोषप्रद जवाब देने को निर्देशित किया है। अबतक जांच में क्या क्या हुआ के बारे में पूछे जाने पर पूर्व मुखिया ने बताया कि स्थानीय स्तर पर जिन्हें जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया था वे अपनी रिपोर्ट नहीं दे सके हैं। जिसको लेकर जांच अधिकारी ने खेद व्यक्त करते हुए सभी संबंधित विभागों के अधिकारी/पदाधिकारी को एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा गया है।
आइये जाने जानें कुछ तथ्य
गया शहर के उत्तरी हिस्से में कभी कॉटन एंड जूट मिल हुआ करता था। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान यह मिल बंद हो गया था। मिल नेशनल टेक्सटाइल कारपोरेशन, पूर्वी सर्किल कोलकाता के तहत संचालित हुआ करता था। एक समय देश के 40 टेक्सटाइल मिल्स को बीमारू घोषित कर दिया गया था, जिसमें गया कॉटन एंड जूट मिल्स की इकाई भी थी। तत्कालीन कपड़ा मंत्री शंकर सिंह बाघेला ने गया के इस इकाई को पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया। इसके बाद मिल बंद हो गया। कुछ कर्मचारी जो यहां वीआरएस देने के बाद बच गए, उन्हें मोकामा की इकाई के लिए ट्रांसफर कर दिया गया था। जिसके बाद यहां कुछ सुरक्षा गार्ड रह गए थे, जिन्हें सेवा निवृति के बाद मिल पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया।

यहां से शुरू हुआ सिलसिला
इसके बाद इस मिल की सारी संपत्ति को बेच दिया गया। एक एक ईंट बिक जाने के बाद इसकी जमीन को भी बेच दिया गया। जिसे कोलकाता की एक कंपनी एनएलबीडी ने खरीद किया। जिस समय इस मिल की जमीन की बिक्री के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी, उस समय अखबारों(दैनिक जागरण भी) में भी निविदा प्रकाशित की गई थी। जहां तक याद है, उस समय 29.30 एकड़ जमीन की बिक्री की निविदा आमंत्रित की गई थी। इसके बाद एनएलबीडी के मालिक विजय अग्रवाल ने इस जमीन को बेचने के लिए प्लॉटिंग कराया। स्थानीय स्तर पर इस कंपनी के एक प्रतिनिधि चंद्रशेखर के माध्यम से कुछ प्लॉट की बुकिंग कई लोगों ने ली। उसमें मिल में काम करने वाले कुछ पदाधिकारी ने भी जमीन खरीद कर रख लिया। जिसमें से कुछ ने अपने या निजी व्यक्ति और परिवार वालों के हाथ में बेचने लगे।
इसके आगे यह हुआ
इसके बाद कंपनी ने अपने एक प्रतिनिधि सुशील सराफ को जमीन की खरीद बिक्री के लिए अधिकृत किया। जिन्होंने एक रिटायर्ड अमीन के माध्यम से स्थानीय कुछ लोगों की मदद से 29.30 एकड़ की जमीन की प्लॉटिंग कर इसमें पार्क, सड़क, मंदिर और वर्षों से यहां स्थापित छोटकी नवादा टीओपी(डेल्हा थाना के अधीन) को बताकर जमीन की बुकिंग के साथ साथ बिक्री शुरू हुई। लोगों ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस जमीन को उत्तम माना और लोगों ने खरीदा। घर मकान, दुकान बनाए और बस गए।

दो बड़े समाचार पत्र का प्रिंटिंग प्रेस भी है यहां
इसके बाद यहां दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान और दैनिक जागरण के मालिकों ने जमीन खरीद कर प्रिंटिंग प्रेस स्थापित करने की सोची तो इस जमीन की कीमत आसमान छूने लगी। आज यहां जमीन की खरीद बिक्री 65 लाख रुपये प्रति कट्ठा(1360 वर्गफीट के हिसाब से) बिक रही है। पहले फेज में डेढ़ लाख रुपए प्रति कट्ठा के हिसाब से दूसरे फेज में 20 से 25 लाख रुपए और अब तीसरे फेज में जमीन की बिक्री 60 से 65 लाख रुपए में की जा रही है। लेकिन, सरकार की नजर से और राजस्व बचाने और आयकर विभाग की नजर से बचने के लिए लोग सरकारी दर(एमवीआर) पर खरीद बिक्री की जा रही है। जैसा कि सरकार तक शिकायत दर्ज कराई गई है।
तो क्या भू माफिया ने कर ली सांठगांठ
इसके जब जमीन पर मकान और दुकान बनने लगे तो यह बात सामने आने लगी कि कथित भू माफिया के एक बड़े वर्ग ने सरकारी जमीन(आम गैरमजरूआ/खास गैरमजरूआ) तो क्या वर्षों से बने मंदिर और टीओपी की जमीन को बेचना शुरू कर दिया गया। हद तो यह सुनने को आ रहा है कि जिस सरकारी जमीन के बारे में अंचलाधिकारी ने अपनी जांच में रिपोर्ट दी, उस जमीन पर भी मकान और दुकान लोगों के बनवा दिए गए। बताया जाता है कि यह सारा खेल एनएलबीडी के स्थानीय प्रतिनिधियों ने कुछ भू माफियाओं से हाथ मिलाकर ऐसा किया है। जिसको लेकर यहां प्रदर्शन और आमसभा भी हुई। पुलिस महकमे के लोगों तक भी बात पहुंच गई है कि पुलिस अड्डा और मंदिर की जमीन की भी खरीद बिक्री कर दी गई है।
जांच की आंच काफी दूर तक जा सकती है

अब इन्हीं सब की जांच की मांग पूर्व मुखिया रवींद्र यादव कर रहे हैं। पूर्व मुखिया श्री यादव का कहना है कि जिसकी शिकायत उन्होंने की है, उसकी जांच यदि निष्पक्ष तरीके से होती है तो कई लोगों के छिपे चेहरे केवल उजागर ही नहीं होंगे, बल्कि ऐसे लोग सलाखों के पीछे भी जा सकते हैं।