
सीयूएसबी जहां एक और अपने विद्यार्थियों के शैक्षिक एवं व्यावसायिक प्रगति के लिए प्रयासरत है। वहीं दूसरी ओर इस कोविड-19 महामारी के दौरान विद्यार्थियों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी चिंतित है। इन बातों को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय में समय-समय पर विद्यार्थियों के मार्गदर्शन हेतु अनेक ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं। पीआरओ मो० मुदस्सीर आलम ने बताया कि इसी क्रम में सीयूएसबी के शिक्षक-शिक्षा विभाग की निर्देशन एवं परामर्श समिति की समन्वयक डॉ० प्रज्ञा गुप्ता द्वारा एक ऑनलाइन ग्रुप काउंसलिंग सत्र का आयोजन किया गया। इस विशेष काउंसलिंग सत्र का विषय था ‘प्रमोटिंग स्टूडेंट्स फिजिकल एंड मेन्टल वेल-बीइंग एमिड कोविड 19 पेंडेमिक।’ इस काउंसलिंग सत्र में विवि के विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों के साथ – साथ मेडिकल ऑफिसर डॉ० विवेक नारायण भी जुड़े।
सर्वप्रथम इसमें कार्यक्रम की समन्वयक एवं समिति के सदस्यों डॉक्टर मितांजलि साहू एवं डॉक्टर तरुण कुमार त्यागी के द्वारा विद्यार्थियों के प्रश्नों एवं समस्याओं का संकलन किया गया। इसके पश्चात विद्यार्थियों की समस्याओं के समाधान हेतु 4 सदस्यों की टीम बनाई गई । जिसमें सीयूएसबी के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर विवेक नारायण, मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह, मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. नरसिंह कुमार, शारीरिक शिक्षा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. पिंटू लाल मंडल एवं शिक्षा पीठ के अधिष्ठाता प्रोफेसर कौशल किशोर उपस्थित थे। इस सत्र में विद्यार्थियों की शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे परीक्षाओं एवं भविष्य को लेकर तनाव,पढ़ाई में अवधान की कमी, स्मृति संबंधी समस्याएं अवसाद एवं अलगाव संबंधी भावना आदि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के संभावित समाधान हेतु चर्चा कर विद्यार्थियों को उपयुक्त समाधान दिए गए।
प्रोफेसर कौशल किशोर ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को आश्वासन दिया कि अध्यापक एवं विश्वविद्यालय प्रशासन को विद्यार्थियों से पूरी सहानुभूति है। अध्यापक एवं प्रशासन उनकी हर संभव मदद करने के लिए वचनबद्ध है। विद्यार्थियों के स्वास्थ्य एवं भविष्य दोनों को ध्यान में रखते हुए ही आगामी निर्णय लिए जाएंगे।
डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान विश्वविद्यालय ने जाने के कारण न जाने के कारण हमारी दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो गई है। अतः हमें इस समय यह देखना होगा कि हम सीमित संसाधनों में क्या बेहतर कर सकते हैं। हमें अपने कार्य के लिए निश्चित समय सीमा निर्धारित करके कार्य पूरा करने की आदत डालनी होगी, नहीं तो काम न होने के कारण भी तनाव और बढ़ जाएगा ।
वहीं डॉ० नरसिंह ने कहा जो विद्यार्थी अवसाद एवं अलगाव की समस्या से ग्रसित हैं वह अपने दोस्तों एवं करीबी रिश्तेदारों से बात करें । जिसे मनोविज्ञान की भाषा में ‘सोशल सपोर्ट सीकिंग’ कहा जाता है । साथ ही स्मृति के लिए उन्होंने निमोनिक मेथड, लिखकर याद करना, लॉसी मेथड, स्टोरी मेथड जैसी स्ट्रैटेजिस पर भी चर्चा की । डॉ० विवेक नारायण ने अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे माइग्रेन, दृष्टि संबंधी विकार, नींद न आना, कोविड-19 के दुष्प्रभाव आदि समस्याओं पर सुझाव दिए । वहीँ डॉ० पिंटू लाल मंडल ने बताया कि किस प्रकार प्राणायाम आसन एवं ध्यान द्वारा इन समस्याओं को दूर कर सकते हैं ।
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ० प्रज्ञा गुप्ता ने बताया कि शिक्षा विभाग की निर्देशन एवं परामर्श समिति, विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर कौशल किशोर के निर्देशन में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के सामूहिक प्रयास द्वारा कई आगामी कार्यक्रमों की योजना पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा की इस तरह की गतिविधियों से विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन हेतु मदद मिलेगी। कार्यक्रम के अंत में डॉ० रविकांत, सह प्राध्यापक शिक्षा विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस ऑनलाइन काउंसलिंग सेशन में शिक्षा विभाग के अन्य सदस्य डॉ० मुजम्मिल हसन, डॉ० मनीष कुमार गौतम, डॉ० संदीप कुमार आदि भी उपस्थित थे ।
रिपोर्ट – आलोक रंजन