
टिकारी संवाददाता: मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर ज्ञान भूमि गया से पटना के लिए निकली पदयात्रा के सदस्यों का गुरुवार की शाम टिकारी पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर नगरपालिका मध्य विद्यालय के प्रांगण में संध्या काल में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे शहर के कई शिक्षाविदों और युवाओं ने भाग लेते हुए मांग के समर्थन में अपने विचार रखे। सर्वप्रथम इतिहासकार व पुरातत्वविद डॉ शत्रुघन दांगी ने पदयात्रियों का अभिनंदन करते हुए मगही के सम्मान और आठवीं अनुसूची में शामिल करने के आंदोलन में सहयोग का वादा करते हुए पदयात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। समाजिक कार्यकर्ता सह लेखक हिमांशु शेखर ने इंटर, डिग्री एवं पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई में मगही को शामिल करने और प्रारंभिक स्तर पर मगही की पढ़ाई की व्यवस्था करने की सरकार से मांग की। मगही कवि नरेंद्र प्रसाद सिन्हा ने कहां कि जातीय जनगणना के फॉर्म में हम सभी को मातृभाषा में मगही का कोड 160 प्रयोग करना चाहिए। समाजवादी लोक परिषद के प्रधान महासचिव पेशे से वकील रिचा झा ने उपस्थित लोगों को बतलाया कि मगही के प्रति विशेष रूचि है। मगही के सैकड़ों पुस्तकों का अध्ययन करने के पश्चात ‘मैं मगही हूं’ नामक पुस्तक की रचना किया है। पदयात्रा के संयोजक व नेतृत्वकर्ता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमांशु शेखर ने कहा कि मगही प्रेम विरासत में मिली है। पिता सतीश मिश्र जीवन भर मगही के अधिकारों के लिए लड़ते रहे। उन्हीं के प्रयासों की बदौलत आज रेडियो पर मगही के प्रसारण को अलग समय दिया गया था जो आज तक जारी है। उन्होंने कहां की यह दुर्भाग्य की बात है कि मगही भाषा को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। मगही जनवासा के डॉ मुंद्रिका प्रसाद नायक ने कहा कि मगही के प्रसार के लिए युवाओं को मगही में लिखने की शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने मगही व्याकरण को सरल भाषा में लिखने की आवश्यकता पर बल दिया है।
सुबह में कवि गोष्ठी के बाद अगले पड़ाव के लिए किया प्रस्थान

युवा कवि सुशील कुमार मिश्रा ने मगही में संगीत की रचना की आवश्यकता पर जोर देते हुए मगही को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। वंही शुक्रवार की सुबह पदयात्रा टिकारी स्थित चिल्ड्रेन पार्क पहुंचा जहां मगही भाषा के महत्व पर संगोष्ठि व काव्य पाठ का आयोजन किया गया। पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमांशु शेखर ने कहा कि बिहार के 38 जिला में से 9 जिला में मगही भाषा बोली जाती है। नौ जिला के लगभग सवा तीन करोड़ जनता की भाषा, संस्कृति व अस्तित्व को नकारा जा रहा है। परिषद की प्रधान महासचिव ऋचा झा ने कहा कि बिहार विधानमंडल द्वारा मगही को अष्टम अनुसूची में शामिल कराने को लेकर संकल्प पारित किया गया था परंतु अब तक मगही उपेक्षा का शिकार है। इतिहासकर व पुरातत्वविद डा. शत्रुघ्न दांगी ने कहा कि पदयात्रा सफल होगी और मगही को निश्चित तौर पर अष्टम अनुसूची में शामिल करना होगा। मगही जनवासा के प्रो मुंद्रिका नायक ने कहा कि युवाओं का मगही के प्रति रुझान अब इस बात को दिखा रहा है कि मगही अष्टम अनुसूची में शामिल होकर ही रहेगी। संगोष्ठी के उपरांत पदयात्रा में शामिल कवियों द्वारा मगही भाषा में काव्य पाठ, सोहर देशभक्ति गीत आदि प्रस्तुति पर लोग झूम उठे।
नेपा, पंचानपुर, सिंघापुर, सिमुआरा, मउ आदि जगहों में भव्य स्वागत
समाजवादी लोक परिषद द्वारा मगही को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर ज्ञानभूमि गया से पटना राज भवन तक के लिए निकली महापदयात्रा टिकारी, कुर्था, किंजर, बिक्रम होते पटना राजभवन पहुंचेगी। शुक्रवार को देर शाम पदयात्रा कुर्था के समीप निघमा पहुंचेंगा। पदयात्रा में मनोज कुमार, नरेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ भरत सिंह, डॉ. राकेश कुमार रवि, गौतम कुमार सरगम, राजेन्द्र सिंह, गीता वर्मा, सुमन्त कुमार, पारस सिंह, मुकेश मिश्रा, पंकज मिश्रा, पूनम कुमारी, मनोज कुमार, राम नरेश सिंह सहित कई लोग शामिल थे। मगही शिखर सम्मान से सम्मानित किए गए पदयात्री पदयात्रा में शामिल लोगों को टिकारी में मगही शिखर सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया। सभी सदस्यों को सम्मान पत्र एवं अंगवस्त्र भेंट स्वरूप प्रदान किया गया। स्थानीय समाजिक कार्यकर्ता हिमांशु शेखर, युवा कवि सुशील मिश्रा साहिल, नगरपालिका मध्य विद्यालय के प्राचार्य अगस्त ऋषि, कमलेश कुमार कमल सहित अन्य लोगो ने समाजवादी लोक परिषद के प्रयास की सराहना करते हुए सफलता की कामना की।