
वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल
गया नगर निगम के इतिहास में पहली बार ऐसा नजारा देखने को मिला कि वार्ड पार्षद एक साथ कथित घोटाले को लेकर अपने स्वर को मुखर किए हों। बुधवार को गया नगर निगम के सभागार में जहां मेयर बीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान सशक्त स्थायी समिति की बैठक कर रहे थे तो बाहर में कई पार्षद धरने पर बैठे थे। दोनों जगहों पर कथित घोटाले की ही चर्चा हुई। सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों ने जहां नगर आयुक्त अभिलाषा शर्मा को लक्षित करते हुए उनके कार्यकलापों पर सवाल खड़े करते हुए कथित घोटाले की जांच की मांग की तो बाहर धरने पर बैठे पार्षद 2017 से 2022 तक के बीच कराए गए विकास और संसाधनों की ख़रीदगी से संबंधित फाइल्स की जांच की मांग की।

धरने पर बैठे पार्षदों का नेतृत्व कर रहे वार्ड नं 39 के पार्षद संजय कुमार सिन्हा ने तो यहां तक कह डाला कि पूर्व डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव को उनके निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड नं 11) की जनता नकार दिया है, फिर भी निगम से उनका मोहभंग नहीं हुआ है। संजय सिन्हा ने यह भी कहा कि आज 5अप्रैल 2023 को सशक्त स्थायी समिति की बैठक हुई है, वो नियम संगत नहीं है, क्योंकि बैठक से संबंधित सूचना निगम से नहीं निर्गत हुई है। यही वजह रही कि इस बैठक में निगमायुक्त व अन्य पदाधिकारी और कर्मचारी उपस्थित नहीं हुए। उन्होंने बताया कि अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन सरकार को भेज रहे हैं, जिसमें कई ऐसी योजनाएं क्रियान्वित हुई है, जो जांच का विषय है।

वहीं सभागार के अंदर हुई सशक्त स्थायी समिति की बैठक में सदस्यों का कहना था कि जब निगम बोर्ड भंग कर दी गई थी तो निगम प्रशासक ने कई फैसले लेते हुए नगर निगम के लिए कार्य करवाए। जिसमें वित्तीय अनियमितता हुई है, जिसकी जांच की मांग की। डिप्टी मेयर चिंता देवी ने तो यहां तक आरोप लगाईं कि निगम के एक कर्मचारी उन्हें जाति सूचक शब्द से संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि उनके साथ निगम प्रशासक भी अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। मेयर बीरेंद्र कुमार सहित सशक्त स्थायी समिति के उपस्थित सदस्यों ने कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तो न्यायालय का भी दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।