ज्ञान और मोक्ष की भूमि पर गंगा जल की आपूर्ति एक साथ 28 नवंबर को करने के पीछे आध्यात्मिक कारण तो नहीं
वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल
28 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गयाजी आने वाले हैं। गंगा जल आपूर्ति योजना का अपने कर कमलों से इसका शुभारंभ करेंगे। 28 नवंबर की तिथि आखिर क्यों तय की गई इस योजना के गयाजी में शुभारंभ करने की? तो आइए, आपको बताते हैं। magadhlive ने इस पर अपना एक खोज किया है।हम सभी सनातन धर्म के मानने वाले जानते हैं कि हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान राम और माता सीता विवाह के बंधन में बंधे थे। तब से हर साल यह दिन राम-सीता के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

इस साल विवाह पंचमी का पर्व 28 नवंबर 2022 को मनाया जाएगा। इस विवाहोत्सव को लेकर विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति द्वारा तैयारी कर ली गई है। एक तरफ जहां विष्णुपद में माता जानकी का विवाह प्रभु श्रीराम के साथ होगा(उत्सव के रूप में), वहीं इसी शुभ मुहूर्त में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गयाजी के पावन धरा पर गंगाजल आपूर्ति योजना का शुभारंभ करेंगे।

संभवतः इसी सोंच के तहत 28 नवंबर 2022 की तिथि तय की गई होगी। ऐसा magadhlive का मानना है। वैसे भी किवदंती है कि माता सीता के श्राप से फल्गु की धारा अन्तःसलिला है। इस श्राप से मुक्ति के उपाय के तहत ही मानो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गयाजी में गंगा जल आपूर्ति योजना (गंगा उद्वह) को अमलीजामा पहनाने आ रहे हैं। गयाजी से होते हुए गंगा जल बोधगया तक ले जाया जा रहा है। बोधगया की तरफ बढ़ने पर निरंजना नदी मिलती है। इसी नदी के तट पर बोधगया बसा हुआ है। जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और महात्मा बुद्ध कहलाए। एक तरफ जहां बोधगया ज्ञान की भूमि है तो गयाजी फल्गु नदी के तट पर बसा है, जिसे मोक्ष की भूमि कही जाती है। ज्ञान और मोक्ष की भूमि पर गंगा जल की आपूर्ति एक साथ 28 नवंबर(मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि) को होना आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मायने रखता है।