वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को किसी भी समय बीजेपी से अलग हो सकते हैं। केवल औपचारिक घोषणा बाकी है। महागठबंधन के कांग्रेस और राजद ने संकेत दिए हैं कि यदि जदयू(नीतीश कुमार) भाजपा से रिश्ता तोड़ लेते हैं तो वे महागठबंधन 2.0 पारी के लिए तैयार है। साथ ही सीपीआई, भाकपा माले और हम(से.) ने बिना शर्त समर्थन की बात कह दी है। अब देखना यह होगा कि नीतीश कुमार इस पर क्या फैसला लेते हैं। पटना से लेकर दिल्ली तक सियासी घटनाक्रम के मद्देनजर मान लें तो मामला सुलझाने के लिए खुद अमित शाह ने नीतीश कुमार से बातचीत की थी। लेकिन नीतीश कुमार सोनिया गांधी से भी बात कर चुके थे। राजद के इफ्तार पार्टी में नीतीश का शामिल होना भी एक इशारा था।
बहरहाल, बिहार विधानसभा की 243 सीटों में नीतीश की पार्टी जदयू के 45 विधायक हैं। BJP के 77 विधायक हैं। आरजेडी को 80 सीटें मिली थीं, लेकिन उनके एक विधायक अनंत सिंह की सदस्यता खत्म होने से 79 रह गई है। कांग्रेस भी पहले ही जदयू को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है। जदयू बीजेपी गठबंधन(एनडीए) से लगभग बाहर निकल चुका है। कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं। सीपीआईएमएल के 12 और हम(से.) के चार विधायक हैं। उन्होंने भी बिना शर्त समर्थन की बात कह दी है। बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है। जबकि बीजेपी को अलग कर दिया जाए तो जदयू महागठबंधन के पुराने साथियों के सहयोग से सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के पास पेश कर सकती है।
गौरतलब है कि राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने सोमवार को कहा कि वह नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड , जद(यू) को ‘‘ गले लगाने” को तैयार है, बशर्ते वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का साथ छोड़ दे। वहीं जदयू नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को कहा था कि गठबंधन में सब कुछ ठीक है। कुशवाहा ने कहा, ‘हां बिल्कुल… एनडीए गठबंधन में सबकुछ ठीक है। आज हम कोई दावा नहीं कर रहे हैं। पर, नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने की सारी योग्यताएं हैं।