
गया जिले में जब नक्सलियों की तूती बोलती थी और नक्सली घटना क्षेत्र के लिए दैनिक रूटीन बन गयी थी, तब सरकार उससे निपटने के लिए कई थाना और पुलिस चौकी एवं ओपी की स्थापना की थी। दु:ख की बात यह है कि उसी दौर में वर्ष 1993 में टिकारी के पंचानपुर में एक ओपी की घोषणा भी सरकार ने की थी। घोषणा के बाद पंचानपुर में पुलिस और पदाधिकारी तो भेज दिए लेकिन 28 वर्ष बीत जाने के बाद भी उसे ओपी का दर्जा आज तक नही मिला।
वर्ष 2006 में पंचानपुर को ओपी बनाने का प्रस्ताव पुलिस विभाग द्वारा सरकार को भेजा गया था।
वर्ष 2006 में तत्कालीन आरक्षी अधीक्षक को भेजे गये प्रतिवेदन में पाच वर्षो का आपराधिक रिकार्ड, ओपी निर्माण हेतु भूमि की उपलब्धता एवं अद्यतन स्थिति, सर्म्पक मार्ग की स्थिति, कुल क्षेत्रफल आदि सहित 9 बिन्दुओं पर आवश्यक आंकड़े व जानकारियां शामिल थी। बता दें कि वर्ष 2006 में हीं तत्कालिन एसपी की अध्यक्षता में वरीय पुलिस पदाधिकारियों की एक बैठक भी हुई थी। जिसमें उग्रवाद एवं घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण पंचानपुर को ओपी का दर्जा देने का निर्णय लिया गया था। लेकिन बाद में किन कारणों से ओपी सृजन के प्रस्ताव की फाईलों की दबा कर रख दिया गया या कचड़े के डब्बा में डाल दिया गया यह बताने वाला कोई नही है। 1993 में ओपी की स्थापना के 28 वर्षों बाद भी पंचानपुर को आज तक न तो ओपी का दर्जा नही मिला है और न हीं उसका अपना कोई भवन और संसाधन है।
रिपोर्ट- आलोक रंजन ,अनुमंडल संवाददाता टिकारी