वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल
मीडिया में सुर्खियां बटोरती निगम की नई सरकार राजनीति में अधिक, जन सरोकार में कम रुचि लेती दिख रही


गया नगर निगम 2023 के चुनाव प्रक्रिया और इसके बाद शपथग्रहण के100 दिन पूरे हो गए। इस सौ दिनों के निगम सरकार के कार्यकाल का आंकलन किया जाए तो कुछ ऐसा नहीं हुआ, जिससे शहरवासियों को लगे कि नई निगम सरकार कुछ की भी है। हक़ीक़त है कि कुछ हुआ भी नहीं, सिर्फ बजट पास के सिवाय। इन सौ दिनों में जो निगम के सदन के अंदर और बाहर में जो चला, वो केवल राजनीति रही व आरोप-प्रत्यारोप ही रहा। कुछ पार्षद निगम सरकार के खिलाफ घोटाले का आरोप लगा रहे हैं तो तो कुछ पार्षद नगर निगम आयुक्त पर घोटाले का ठीकरा फोड़ रहे। कोई बैठक को अनुचित बता रहा है तो कोई बैठक कर आरोपों की झड़ियां लगा दी है। अब गेंद बिहार सरकार के पाले में है कि जांच किस किस बात की करे। लाखों-करोड़ों के घोटाले की बात है। एक पक्ष एक निश्वित अल्प अवधि में हुए कार्य की जांच की मांग कर रहे हैं तो कोई पिछले पांच साल का। फिलहाल तो यही बात है कि 100 दिनों के इस नई निगम सरकार में कुछ नया नहीं हुआ है। इन सौ दिनों में पार्षद केवल वार्ड जमादार और सफाई मजदूरों के बीच समय गुजार रहे हैं। कहाँ नाली जाम है, कहां कचरा नहीं उठाया जा रहा है, किधर मजदूर नहीं आ रहा आदि समस्याओं से रूबरू पार्षद केवल हो रहे हैं। जनता क्षेत्र में जल जमाव की समस्याओं की स्थायी निदान, जलापूर्ति की स्थायी व्यवस्था, हाउस फॉर ऑल आदि योजनाओं के क्रियान्वयन सहित जन सरोकार से जुड़े कार्यों में ज्यादा विश्वास रखकर वोट किया, लेकिन देखा जाए तो यह सब केवल अबतक बजट के पन्नों में ही सिमटी है, धरातल पर उतारने की बात अबतक नहीं हुई है। निगम के पार्षदों की गुटबाजी का मजा निगम के कर्मचारी ले रहे हैं और सजा जनता भुगत रही है। मीडिया में सुर्खियां बटोरती निगम की नई सरकार राजनीति में अधिक, जन सरोकार में कम रुचि लेती दिख रही है।