
स्वच्छता रैंकिंग में सुधार को लेकर पार्षद ने किया प्रोत्साहित
वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल
पुरस्कार और सम्मान दोनों अलग अलग शब्द हैं। पर आशय दोनों के एक ही हैं- encourage यानी प्रोत्साहन देना। गया शहर एक प्राचीन नगरी है। जिसकी संरचना वैदिक काल की मानी जाती है। कभी पांच कोश में गयाजी हुआ करता था, पर आज के वैश्विक परिवेश में क्षेत्रफल कहें या दायरा शहर का बढ़ा है। ऐसे में स्वच्छता के स्तर को बेहतर बनाए रखना नगर निगम के लिए चुनौतियों से भरी हुई है। आज का गया शहर और वैदिक काल का गयाजी में काफी बदलाव आया है। अंदर गया की तंग गलियों से बाहर निकलकर गया शहर आज लंबे चौड़े रास्ते व अट्टलकिओं वाला शहर की श्रेणी में आ गया है। ऐसे में साफ सफाई को बेहतर बनाने के लिए कठिन चुनौती है। फिर भी नगर निगम अपने दायित्वों से मुंह नहीं मोड़ सकता है। आज मेयर, डिप्टी मेयर, नगर आयुक्त, वार्ड पार्षद यही चाहते हैं कि अपना शहर भी स्वच्छ शहरों के नाम वाली सूची में शामिल रहे। पिछले साल के स्वच्छता रैंकिंग में आई गिरावट से सभी ने सबक ली है। आज सफाई के लिए जितने संसाधन मौजूद हैं, आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से पर्याप्त नहीं माना जा सकता है। यदि इसे पर्याप्त मान भी लिया जाए तो शहरीकरण की जो गति है और इसमें बिल्डिंग बाइलॉज का अनुसरण नहीं करते देखा जाता है। जिसके कारण गंदगी यहां तुरंत दृष्टिगोचर होती है। हालांकि गंदगी और सफाई एक सतत प्रक्रिया है। मानव जीवन में स्वच्छता का क्या महत्व है, इसे समझने की जरूरत सभी को है। डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव हमेशा एक बात कहते सुने जाते हैं-“लोगों में सिविक सेंस का होना जरूरी है।” मेयर बीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान भी अक्सर ये अपील करते सुने जाते हैं-” शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने में सभी साथ दें।” यानी कुल मिलाकर नागरिकों की प्रथम जिम्मेदारी बनती है कि वे शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने में किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं। स्वच्छता रैंकिंग के जब आंकड़े जारी होते हैं तो राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो जाती है। एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो जाता है। क्या स्वच्छता रैंकिंग में सुधार की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ नगर निगम के रहनुमाओं की ही बनती है? मेरी समझ से कदापि नहीं। सभी का साथ इसके लिए होना जरूरी होता है।
फिलहाल, वार्ड पार्षद धर्मेंद्र कुमार ने सफाई के लिए नगर आयुक्त सावन कुमार, साफ सफाई के उप नोडल पदाधिकारी अभियंता दिनकर प्रसाद, मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक सत्येंद्र प्रसाद के साथ साथ उन सभी कर्मियों को सम्मानित करने का काम किया जो शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने में दिनरात लगे रहते हैं। ये सम्मान किसी व्यक्ति को भले ही प्रत्यक्ष रूप से दिया गया। परंतु इसके मायने व्यापक समझने की जरूरत है। आज सावन कुमार नगर आयुक्त हैं, कल को इनकी जगह कोई और होंगे। दिनकर प्रसाद या सत्येंद्र प्रसाद की बात करें तो कल को ये भी इस पद पर नहीं हो सकते हैं। ये सम्मान उनको प्रोत्साहित करने के लिए दिए गए, जो इस नेक कार्य में लगे हुए हैं। ऐसा सभी वार्ड पार्षद को करने की जरूरत हम समझते हैं। क्योंकि शहर अपना है, इसे समझना होगा।