गया के विष्णुपद मंदिर के प्रांगण में दोनों सात जन्मों के लिए परिणय सूत्र में बंध गए
वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल
दुनिया कितनी खूबसूरत है यह दृष्टिबाधित व्यक्ति केवल सुन व अनुभव कर सकता है। देख नहीं सकता है। ऐसे लोगों का दर्द वही जान सकता है जो खुद को ऐसा महसूस करते होंगे। दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या हर देश में में होगी। हम सभी ऐसे लोगों के पास जाकर उनका दर्द बांटने भी शायद नहीं जाते होंगे। लेकिन कुदरत सब की सुनता है। गया शहर की रहने वाली दृष्टि बाधित पिंकी के साथ जीवनपर्यंत साथ निभाने के लिए कई मिलों दूर महाराष्ट्र के नागपुर से अपने परिवार के कुछ लोगों के साथ गयाजी जैसे पावन भूमि पर विष्णु की नगरी में आया। और पिंकी की मांग में सुहाग का सिंदूर भरकर उसके अंधेरे जीवन में उजाले की उम्मीदें जगा दी। महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाला गोपाल भी दिव्यांग है। जो पिंकी के साथ देर रात शादी कर परिणय सूत्र में बंध गए। विष्णुपद मंदिर प्रांगण में इन दोनों की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शादी कराई गई। इस शादी की सबसे बड़ी खासियत यह रही की पिंकी का दूल्हा गोपाल सात जन्म तक साथ निभाने के लिए गया से 1200 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र, नागपुर से चलकर गया पहुंचा था। शादी से दोनों खुश नजर आए। शादी समारोह के सबसे आखिर में गोपाल ने पिंकी की मांग में जैसे ही सुहाग का सिंदूर भरा वहां उपस्थित लोगों ने भगवान का जयघोष कर विष्णुपद मंदिर को गुंजायमान कर दिए। नवदंपति को मांगलिक आशीर्वाद देने के लिए वर और वधू पक्ष से स्वजनों की भीड़ थी। गोपाल के माता-पिता, नाना, फूफा, व अन्य छह लोग बाराती बनकर आए तो पिंकी की विधवा मां रेनू देवी का हौसला बढ़ाने के लिए उनकी नानी भाभी व अन्य परिवार शामिल होने आए थे। इस शादी को लेकर शहर में चर्चा हो रही है।
