वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल
आल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन और ईस्ट सेन्ट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के पहल पर रेल प्रशासन द्वारा रेल कर्मचारियों को आकस्मिक और गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों के साथ अनुबंध किए गए हैं। यूनियन के इस पहल से रेलकर्मचारियों को बेहतर तरीके से इलाज की सुविधाएं उपलब्ध हो गई थी। परन्तु रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (स्वास्थ्य) डॉक्टर के. श्रीधर ने 23 नवंबर को एक आदेश संख्या- 2020/H-I/2/7/ ट्रीटमेंट जारी करते हुए नये दिशानिर्देश जारी किए। जिसके अनुसार प्रभावित रेलकर्मचारी को इलाज के लिए उपलब्ध सुविधा यदि रेल अस्पताल में उपलब्ध नहीं हो तब उसे पहले सरकारी अस्पताल में रेफर किया जाएगा। यदि सरकारी अस्पताल में भी उपयुक्त सुविधा उपलब्ध नहीं हो तब कर्मचारी को वैसे अस्पताल में रेफर किया जाएगा जहाँ आयुष्मान भारत के अन्तर्गत अधिसूचित अस्पतालों में रेफर किया जाएगा या फिर केन्द्रीय कर्मचारी स्वास्थ्य योजना (सी जी एच एस ) द्वारा निर्धारित दरों पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले निजी अस्पतालों में रेफर किया जाएगा। खर्च कटौती के आड़ में निजी अस्पतालों में कम से कम रेफर किए जाने के दिशानिर्देश के कारण रेलकर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई थी। इस आशय की जानकारी देते हुए ईसीआरकेयू के केन्द्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मिथलेश कुमार ने बताया कि इन दिशानिर्देश के पालन करने में कई मुश्किलें खड़ी हो रही थीं और इसका खामियाजा बीमार रेलकर्मचारियों को भरना पड़ता था। आल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने तत्काल इन दिशानिर्देशों का कड़ा विरोध किया और मंगलवार को ही रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सह प्रमुख अधिशासी अधिकारी वी के यादव से विशेष बैठक कर उक्त आदेश से उत्पन्न होने वाले समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया और तत्काल इसे निरस्त करने का अनुरोध किया। श्री यादव ने तुरंत ही रेलवे बोर्ड के स्वास्थ्य निदेशक को उक्त आदेश को निरस्त करने को कहा। उन्होंने महामंत्री श्री मिश्रा को आश्वस्त किया कि उक्त आदेश के निरस्तीकरण की अधिसूचना जल्द ही जारी कर दिए जाएंगे। इससे गंभीर और बीमार रेलकर्मचारियों को निजी अस्पतालों में अब पहले की ही तरह सीधे रेफर किए जाने की सुविधा बहाल रहेगी।